मुंबई। शिवसेना हमेशा ही अपने फैसलों और बयानों से सुर्खियों में रहती है। पर इस बार तो हद तब हुई जब शिवसेना ने न्यायालय के दही-हांडी वाले फैसले को कटघरे में रख दिया। शिवसेना का कहना है कि ‘‘गणेशोत्सव, दही-हांडी और नवरात्रि त्योहार सभी हमारी मान्यताओं का हिस्सा हैं. हमें निर्देश देने वाले न्यायालयों को कम से कम इस मुद्दे पर लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए.’
न्यायालय द्वारा उत्सवों में बनने वाले पिरामिड की लंबाई और कुछ अन्य प्रतिबंध लगाने से शिवसेना नाराज है। नाराजगी के चलते शिवसेना ने अपने सामाचार पत्र सामना में एक लेख के जरिए अपने विचार व्यक्त किए। जिसमें साफ तौर से लिखा है कि लोगों ने लोकतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार चुनी है. यह काम सरकार को करने दीजिये. सरकार के शीर्ष लोग इस बात को जानते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है. यदि सरकार को नकारने और लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया जाएगा, तो सभी मोर्चे पर राष्ट्रीय व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी.’’
मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में सेना ने कहा, ‘‘हिन्दुओं के त्योैहार और रीति रिवाज जारी रहेंगे. लोग इनमें बाधा डालने के प्रयासों को विफल कर देंगे और इस काम में शिव सेना अगुवाई करेगी.’’ सेना ने कहा, ‘‘जब अदालतें सरकार का काम करने लगेगी, तो उन्हें बदनामी सहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए.’’