अब ग्लेशियरों, नालों, झीलों, हवा, जंगलों, झरनों को भी दिया उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कानूनी दर्जा

नैनीताल: न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की एक खंडपीठ ने उत्तराखंड में गंगोत्री और यमुनोत्री सहित सभी ग्लेशियरों, नदियों, धाराओं, नालों, झीलों, हवा, घास के मैदानों, डेल्स, जंगलों, झरनों और वाटर फाल्स को कानूनी दर्जा देने के आदेश दिए.

Pindari Glacier Uttarakhand

अदालत ने गंगोत्री और यमुनोत्री पर विशेष जोर देते हुए कहा, ‘गंगोत्री ग्लेशियर हिमालय में सबसे बड़ा ग्लेशियर है. हालांकि, यह तेजी से कम होता जा रहा है. पिछले 25 सालों में यह 850 मीटर से ज्यादा कम हो चुका है. यमुनोत्री ग्लेशियर भी चिंताजनक दर से घट रहा है. ग्लेशियरों पर जमी बर्फ पृथ्वी पर ताजा पानी का सबसे बड़ा भंडार होती है’.

गंगा और यमुना नदी को ‘जीवित मानव’ का दर्जा देने के बाद उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उसे विस्तारित करते हुए ग्लेशियरों सहित प्रदेश की अन्य कई प्राकृतिक चीजों को भी कानूनी दर्जे के दायरे में लाने का आदेश दिया.

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