देहरादून – उत्तराखंड में भले ही शीतलहर के चलते ठंड ने दस्तक दे दी हो, लेकिन सियासी पारा जून महीने की बेतहाशा गर्मी का एहसास करवा रही है। यह हम क्यों कह रहे हैं इसके लिए आपको बीजेपी के भीतर से उठ रहे विरोधाभास स्वर का रुख करना पड़ेगा। क्या सरकार को इस बयानबाजी के चलते अस्थिरता में लाने की कवायद शुरू हो गई है। या फिर पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी है और अब सियासी सिरमोर बनने का खेल चल रहा है।
धामी सरकार को विपक्ष की घेराबंदी से कम और अपनों की घेराबंदी ने पूरी तरह से असहज कर दिया है। इसमें कोई छूटभैया नेता नहीं है। दो पूर्व मुख्यमंत्री हैं दो एमएलए हैं जबकि एक देहरादून का प्रथम नागरिक भी शामिल है। जो लगातार किसी न किसी बहाने धामी सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं।
उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को क्या भाजपा के वरिष्ठ नेता सीएम चेहरा नहीं देखना चाहते? या भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को ऐसा लग रहा है की सबसे कनिष्ठ को राज्य की सबसे बड़ी कुर्सी दी गई है? और हारे हुए चेहरे पर हाईकमान ने जो भरोसा जताया उस पर ही सवालिया निशान लगा रहे है? या फिर धामी सरकार को गिराने का प्रपंच तैयार किया जा रहा है? या फिर पटकथा लिखी जा चुकी है और अब सीएससी सिरमौर बनने के लिए बयानबाजी का सिलसिला शुरू किया गया है? तमाम सवाल है जो इन दिनों उत्तराखंड के हर एक शख्स के भीतर कौंध रहे हैं। घेराबंदी की इस रणनीति ने न केवल सरकार को असहज किया है बल्कि संगठन भी पूरी तरह से असहज महसूस कर रहा है यही कारण है कि प्रदेश अध्यक्ष इस बयानबाजी को लेकर केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत किसी न किसी बहाने प्रदेश सरकार को असहज करने की लगातार बयान बाजी कर रहे हैं। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्मार्ट सिटी को ढाल बनाया है।
वही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खास माने जाने वाले सुनील उनियाल गामा ने भी स्मार्ट सिटी को लेकर समय समय पर धामी सरकार को आड़े हाथों लेते रहे है। अबकी बार तो उन्होने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर जांच करवाने की मांग की है।
पिछले लंबे समय से चल रहे स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्यों पर मेयर गामा की नजर केवल धामी सरकार के कार्यकाल पड़ी है जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल से यह निर्माण कार्य निरंतर चल रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह मौजूदा सरकार को असहज तो किया ही जा रहा है लेकिन प्रदेश सरकार को भी किसी न किसी बहाने कटघरे में खड़ा करने की कोशिश भी हो रही है।
उधर बीजेपी के 2 विधायकों ने स्मार्ट सिटी को ढाल बनाकर धामी सरकार को निशाने पर लिया है। राजपुर विधायक खजान दास तो कई बार अपने ही सरकार पर प्रहार कर चुके हैं इस फेहरिस्त में रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ भी जुड़ गए हैं।
सूत्र बताते हैं कि दोनों विधायकों को मंत्रिमंडल में ना लिया जाना एक बड़ा कारण है। कि वह अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं बयानबाजी से सरकार और संगठन पूरी तरह से असहज हो गया है।
भाजपा विधायक अभी तक जो हमने आपको जो बताया वह बयानबाजी का एक ट्रेलर था, अब जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं उससे ना केवल सरकार असहज हुई बल्कि संगठन भी पूरी तरह से मौन साधे बैठा है। यह बयान पूर्व मुख्यमंत्री और पौड़ी सांसद तीरथ सिंह के हवाले से आया है। तीरथ सिंह ने कहा कि कमीशन खोरी राज्य में इतनी हावी हो गई है कि किसी भी विभाग में बिना परसेंटेज दिए काम नहीं होते हैं। इस बयान ने न केवल सियासी पारी को चढ़ाया है बल्कि मौजूदा सरकार पर भी कई सवालिया निशान लगाए हैं।
इन बयानों से अंदाजा लगाया जा सकता है की सरकार की घेराबंदी विपक्ष से कम अपनों ने ज्यादा कर दी है। इस बयानबाजी से सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि सरकार को अस्थिरता में लाने की पटकथा लिखी जा चुकी है। और अब सिरमोर और ईमानदार बनने के लिए बयानबाजी का दौर शुरू हो चला है। चर्चाएं इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द घूमने वाले और 24 घंटे सीएम को रिपोर्ट करने वाले सलाहकार भी कहीं ना कहीं मौजूदा सरकार के लिए परेशानियां खड़ी कर रही हैं। जिससे बड़े नेता अपने ही सरकार को घेरने की कवायद में जुटे हैं।