
सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सर्वे चैक स्थित आईआरडीटी आॅडिटोरियम में उत्तराखण्ड राज्य बाल अधिकार आयोग एवं बचपन बचाओ आन्दोलन उत्तराखण्ड द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यशाला में प्रतिभाग किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला के आयोजन के बाद बाल अधिकारों एवं बाल सुरक्षा के लिए कुशल नीति बनेगी, जिसके भविष्य में अच्छे परिणाम राज्य को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए नीति निर्धारकों को निर्णय करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि परिवार के बड़े लोग संभल कर आगे बढ़ते है तो बच्चे स्वतः ही संभल जाते है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे की प्रथम पाठशाला अपना घर है। माता-पिता को अपने बच्चे के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित करने के लिये नैतिक शिक्षा पर बल देने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का एक ऐसा राज्य है जहां पर 12 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है। एक बच्चे पर प्रतिवर्ष 26 हजार रूपये का खर्च होता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ढाई हजार स्कूलों में छात्र संख्या दस से कम है और एक हजार स्कूल विद्याथियों के अभाव में बंद हो चुके है। छात्र एवं अध्यापकों के अनुपात को संतुलित करने एवं गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के दृष्टिगत स्कूलों की क्लबिंग की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 05 जिलों देहरादून, हरिद्वार, पिथौरागढ़, चमोली एवं चम्पावत में पुरूषों की तुलना में महिलाओं की संख्या कम है। इन जिलों में लिंगानुपात संतुलित करने के लिये व्यापक स्तर पर जन-जागरूकता की आश्यकता है।
उन्होंने कहा कि जागरूकता अभियान से पिछले 10 माह में पिथौरागढ़ में बाल लिंगानुपात में बेटियों की संख्या प्रति हजार बालकों पर 813 से बढ़कर 914 हो गई है। अभी भी कई क्षेत्रों में सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बाल संरक्षण आयोग द्वारा कराई गई निबन्ध, चित्रकला, पेंटिंग प्रतियोगिताओं के मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया।