अक्सर लोग अपनी दुकान की ब्रांडिंग और पहचान बनाने के लिए अजीबो-गरीब और यूनिक नाम रखते हैं. लेकिन क्या आपने भूतों के दुकान के बारे में सुना है, जी हाँ एक दुकान ऐसी है जो बहुत फेमस है उसका नाम है “भूतिया हलवाई”. भूत नाम सुनते ही मन में एक अजीब सी प्रतिबिंब बनने लगती है हम सोचते हैं कि जहाँ भूत वगैरह रहते हैं वहां कभी नहीं जाना चाहिए, लेकिन इस भूतिया दुकान में इसके उलट होता है लोग इस दुकान में आने को बेक़रार रहते हैं और यहाँ की मिठाई खाने को तो इससे भी ज्यादा बेताब रहते हैं.
अब बात करें कि आखिर इस हलवाई का नाम भूतिया हलवाई कैसे पड़ा तो उसके पीछे भी एक कहानी है. दरअसल उत्तर प्रदेश के मथुरा के मूल निवासी लालाजी मूलचंद गुप्ता ने अलवर गेट क्षेत्र में साल 1933 में मिठाइयों की दुकान खोली. उस वक्त उस क्षेत्र में दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा रहता था. पास में एक रेलवे कारखाना था.
लालाजी के बेटे और पोतों के अनुसार अंग्रेजों के समय में दुकानें शाम पांच बजे ही बंद हो जाती थी. लोग शाम होते-होते अपने घरों में बंद हो जाते थे, लेकिन लालाजी बेखौफ होकर रातभर अपनी दुकान में बैठकर मिठाइयां बनाते थे. उस समय लोगों में यह डर भी था रात में इस क्षेत्र में भूत आते थे. लालाजी के पोते सुनील गुप्तास का कहना है कि चूंकि लालाजी रात को दुकान में काम करते थे तो लोग उन्हें भी भूतिया हलवाई कहने लगे. आज लालाजी तो इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनकी दुकान आज इसी नाम से प्रसिद्धी पा चुकी है.
आज लालाजी के बेटे और पोते उनके नाम को आगे बढा रहे हैं.उनका कहना है कि लालाजी की तरह उन्होंने गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया. नियमों का पूरा पालन करने की कोशिश करते हैं. गैस सिलेण्डर भी व्यवसायिक इस्तेमाल करते हैं. साफ-सफाई से कोई समझौता नहीं करते.